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जाली नोट

प्रकाश भारती

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Belletristik/Erzählende Literatur

Description

उस रात बारह बजे बॉम्बे जाने वाली आखिरी फ्लाइट से करीब दस मिनट पहले अजय ग्रे सूटकेस उठाये डिपार्चर हॉल की और जाने ही वाला था अचानक उसका प्रोग्राम कैंसिल करा दिया गया...अजय ने अपना टिकिट और बोर्डिंग पास गिड़गिड़ाकर मदद की गुहार लगाते अजनबी को दे दिए...सौ सौ के दस नोट अजय को देकर वह आदमी अपना ग्रे सूटकेस उठाकर डिपार्चर हाल की और दौड़ गया...।


तभी एक परेशान हाल और घबरायी सी सुन्दर युवती को अजय ने उसी अजनबी के बारे में पूछताछ करती सुना...युवती के मुताबिक वह उसका पति देवराज था...। एयरपोर्ट की इमारत के बाहर उसी युवती के साथ काली कार में दस नम्बरी बदमाश पीटर को देखकर अजय ने उत्सुकतावश पीछा करने का फैसला कर लिया...।


दोनो का पीछा करता अजय स्टार नाईट क्लब पहुंचा...टैक्सी ड्राइवर परिचित था...उसे अपना सूटकेस अपनी इमारत के वाचमैन को सौंपने के लिए कहकर अजय क्लब में दाखिल हुआ...। एक मेज पर मौजूद वही युवती और पीटर बेहद परेशान थे...।


अजय ने ड्रिंक की पेमेंट अजनबी द्वारा दिए गए नोटों में से एक सौ रूपये के नोट से की तो मैनेजर के सामने पेश होना पड़ा...नोट को लेकर बात इतनी बढ़ी मैनेजर ने उस पर पिस्तौल तानते हुये किसी साहब से फोन पर कहा–जिन पांच लाख के नोटों की तलाश है उनमें से एक नोट मिल गया...उस आदमी को रोके रखूंगा...।


ऑफिस से निकलकर अजय अकेली बैठी उसी युवती के सामने जा बैठा...देवराज के बारे में बताने के बहाने अजय ने युवती को ऐसा शीशे में उतारा युवती की काली कार में उसी के साथ वहां से भागने में सफल हो गया...। रास्ते में तेज दौड़ती कार बेकाबू होकर एक दीवार से टकरा गई...बेहोश युवती को वहां इकठ्ठा हो गई भीड़ ने निकाल लिया...अजय कार से निकला तो दो आदमियों जमशेद और गब्बर ने गन के जोर पर जबरन उसे  नीली कार में अगुवा कर लिया...।


एक पुरानी इमारत में पहली मंजिल पर अजय को उसके पुराने दुश्मन और घाघ राजनीतिबाज जोशी के सामने पेश किया गया...अजय के पर्स से सौ रूपये के नौ नोट निकालकर उनके बारे में कड़ी पूछताछ की गई...वह समझ गया नोट जाली थे...अंत में उसे बेसमेंट में एक टॉयलेट में कैद कर दिया गया...।


अजय ने बिजली के बल्ब का ऊपरी सिरा गिला करके बार बार फ्यूज उड़ने का स्टंट करके बेवक़ूफ़ बनाकर उन्हें नीचे आकर दरवाजा खोलने पर मजबूर कर दिया...ज्योहीं दरवाजा खुला...विस्की की बोतल का पैंदा तोड़कर उसे घातक हथियार बना चुके अजय ने हमला कर दिया और एक कार में वहां से भाग निकला...एक पैट्रोल पम्प से इंस्पैक्टर रविशंकर को फोन किया तो उसकी बात सुनकर अजय के होश उड़ गए...युवती के साथ जिस काली में भागा था उसकी डिग्गी में दस वर्षीया लड़की शशि कोठारी की लाश मिली है...युवती गायब है...शशि कोठारी को किडनैप किया गया था...फिरौती की रकम पांच लाख रूपये भी दे दिए गए थे...एक चश्मदीद गवाह का कहना है उसने अजय को दुर्घटनाग्रस्त कार से निकलते देखा था...।


अजय अपने फ्लैट वाली इमारत में लौटा । वॉचमैन ने सूटकेस देते हुए बताया नीलम के कहने पर उसके गैस्ट कुलकर्णी को उसी के फ्लैट में ठहरा दिया था...नीलम फोन पर अजय को भी यह बता चुकी थी...। अपने फ्लैट में पहुंचकर अजय सीधा बाथरूम में जा घुसा...। डोरबैल की आवाज सुनकर तौलिया लपेटे बाहर निकला । दरवाजा खोलते ही खोपड़ी घूम गई–आगंतुक विमल और इंस्पैक्टर तिवारी थे...।


कपडे निकालने के लिए सैंटर टेबल पर रखा सूटकेस खोला तो अजय के साथ साथ विमल को तेज झटका लगा - उसमे सौ सौ रूपये के नोटों की गड्डियां भरी थी...।


अजय समझ चुका था - हुबहु उसके जैसा नजर आता वो सूटकेस असल में देवराज का है...एयरपोर्ट पर जल्दबाज़ी में गलती से वह उसका सूटकेस उठा ले गया था...।


तिवारी की नज़रों से बचाकर सूटकेस बंद किया और उसे लेकर बैडरूम में पहुंचा...दरवाजा खोलकर लाइट ऑन करते ही इस बुरी तरह चौंका...सूटकेस हाथ से छूट गया...सामने बैड पर लहुलुहान चेहरे वाला एक आदमी मरा पड़ा था...।


लाश किसकी थी ? क्या वे नोट फिरौती की रकम थे ? नकली नोटों का रहस्य क्या था ? देवराज कौन था ? गले तक फंसा अजय इस जंजाल से कैसे निकला ?

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